देशभर में पहुँचे हुए लोग पहुँचे हुए शौक पालते हैं। मसलन घर में कुत्ता-बिल्ली पालते हैं और वृद्धाश्रमों में बड़े-बूढ़े। कुत्ते-बिल्ली दिखने और लगने में बड़े क्यूट होते हैं जबकि बड़े-बूढ़े बड़े बोरिंग और पकाऊ। घर में डॉगी पालने के ठाठ होते हैं और बड़े-बूढ़ों को साथ में रखने से किच-किच होती है।
सुबह-शाम जहाँ-तहाँ जब देखो तब पक-पक करते रहते हैं। डॉगी और किटी का गोद में बैठना, पीठ पर चढ़ना और पैरों को चाटना कितना सुहाता है। वहीं बूढ़ों के मुँह लगना तो दूर उनके नज़दीक जाना भी कितना डिस्गस्टिंग होता है। छीः-छीः ऐसे लोगों का साथ में रखना मतलब घर आने वाले लोगों के सामने नाक कटाने के बराबर है। इसीलिए ऐसे लोगों के लिए वृद्धाश्रम ही ठीक होते हैं।
दोनों को पालने के अपने अलग-अलग फायदे हैं और दोनों की देखभाल में भी काफी अंतर होता है। किंतु इन्हें जानवर कहने की भूल बिल्कुल मत करना। बल्कि डॉगी की देखभाल में जहां अधिक समय देना होता है, वहीं, किटी की देखभाल में कम समय लगता है। वहीं बूढ़ों को पालने में जमीन-आसमान भी कर दें तब भी त्रिशंकु बनकर लटकना पड़ता है।
द यंग जनरेशन फॉर प्रिवेंशन ऑफ ओल्ड पिपुल के मुताबिक, इंसान के बच्चों से भी डॉगी या किटी के बच्चे बड़े प्यारे लगते हैं। बूढ़े तो खूसड़ लगते हैं। ऐसे में जरूरी है कि अगर आपके घर में किटी के बच्चे यानी किटन हैं, तो उन्हें थपकी दे-देकर सुलाइए।
कोशिश करें कि किटन को ज्यादा बाहर भी लेकर न जाएं। दरअसल, बाहर ले जाने से किटन को कई तरह की बीमारियां लग सकती हैं। बूढ़ों को बाहर रखो या भीतर कुछ फर्क नहीं पड़ता क्योंकि उनके होने न होने का कोई मतलब नहीं है। इसीलिए ऐसों के लिए वृद्धाश्रम ही सही जगह होती है। वहाँ एक जैसे लोग घुमा-फिरा के एक जैसी बातें करते हैं, क्योंकि उनकी समस्या एक जैसी होती है।
देखभाल किसी भी डॉगी-किटन के लिए बेहद जरूरी है। ऐसे में जरूरी है कि उन्हें डॉक्टर के पास ले जाएं और उनकी देख-रेख करें। बूढ़ों का क्या है। जितना जीना था जी लिया, अब तो उनके मरने की बारी है। उनकी देखभाल करना मतलब दवादारू में पैसे बेकार करने के बराबर है।
किटी को दिन में चार बार खाना देना चाहिए। यदि आपके घर में डॉग और बिल्ली दोनों हैं, तो ध्यान रखें कि, बिल्ली को डॉग का खाना खिलाने से बचें। ऐसे में जरूरी है कि उसे हमेशा बिल्लियों वाला खाना ही खिलाएं। बूढ़ों का क्या जूठन भी चल जाएगा। नहीं भी देंगे तो कुछ कहने वाले थोड़े न है। वैसे भी जो बूढ़े बन जाते हैं उन्हें सिर्फ सुनने की आदत डाल लेनी चाहिए।
अच्छी साफ-सफाई डॉगी-किटी के लिए बेहद जरूरी होती है। बूढ़ों के लिए सफाई की जरूरत नहीं होती है। क्योंकि उनके बच्चे बूढ़ों की पूरी तरह से सफाई करने के सारे इंतजाम करके रखते हैं। जब भी बिल्ली के शरीर से बदबू आने लगे, तब आप उसे ठंडे पानी से नहला सकते हैं।
बता दें कि, गर्म पानी बिल्ली के शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है। इसके अलावा बिल्ली के बालों को रोज ब्रश करना चाहिए। इससे टूटे बाल निकल जाएंगे और घर में फैलने से भी बच जाएंगे। मैं आपको यह सब इसलिए बता रहा हूँ कि आजकल वृद्धाश्रमों की संख्या बढ़ती जा रही है। बहुत जल्द कब्रिस्तान की समस्या से निजात पा सकते हैं क्योंकि अब जीवित कब्रिस्तानों की संख्या आज के एकल परिवारों ने बढ़ाकर रख दी है।
डॉ. सुरेश कुमार मिश्रा ‘उरतृप्त’, मो. नं. 73 8657 8657