दीवाली की खुशियां दशहरे के बाद से मन में ऊंचे हिलोरें लेती रही है !

दीवाली की खुशियां दशहरे के बाद से मन में ऊंचे हिलोरें लेती रही है व घर की साफ-सफाई, रंग-रोगन की प्लानिंग कराती, कैसे सजाना, संवारना, कलर, आईटम, चित्र, पोस्टर, स्टीकर, घरेलू सामान व कौन सी लाईटिंग, रंग-बिरंगी झालरों से घर को नये तरीके से सुंदर-आकर्षक बनाना इस कार्य में इंदौरियों के पास सैकड़ों चाईस व आप्शन रहता हैं। पहले के समय भी और आज के समय भी इस कार्य के लिए यहां के बाजारों में भरपूर सामग्री उपलब्ध रहती है। इंदौर वालों का दिमाग सुंदर-आकर्षक दिखने-दिखाने व सदैव आगे रहने की माइंडसेट वाला होता है।

पुराने समय में दशहरे-दीवाली की स्कूल-कॉलेजों में 25 दिनों की लंबी छुट्टी होती थी इसका भरपूर उत्साह बच्चों में रहता था। पुराने समय में प्रत्येक बड़े त्योहार कई दिनों तक मनाने की परंपरा रही है। इंदौरी  पूरे उत्साह से लबरेज होकर अपनी हैसियत के मुताबिक पास-पड़ोस व रिश्तेदारों को अपनी खुशियों में शामिल करते हुए त्योहार मनाते हैं।

पुराने 60-70 के समय में इंदौर के कपड़ा मार्केट में कपड़ा मिलों, संस्थानों, दुकानों पर दीवाली पर आकर्षक

सजावट व रंग-बिरंगी रोशनियां की जाती थी। जगमगाती झांकियों से इन्हें संजाया जाता था। जिसे इंदौरी अपने परिवार सहित बच्चों को दिखाने जाते थे। 

इस समय दीवाली के पटाखे शिवाकाशी से इंदौर में व्यापारीगण लाकर बेचते थे। रानीपुरा में रिव्हरसाइड रोड़ पर बड़ा पटाखा मार्केट होता था। खेमा इंडस्ट्रीज के पटाखे बड़े मशहूर होते थे। हर प्रकार के पटाखे थोक व खेरची विक्रेता यहां से ले जाते थे। सुतली बम फुलझड़ी, टिकड़ी, मटका अनार राऊ में बनते थे। अब पूरे शहर में पटाखे मिलते हैं और रानीपुरा व राऊ आज भी पटाखों की दुकानों के लिए मशहूर हैं जहां इस दौर के सभी प्रकार के पटाखे मिलते हैं।

इस दिवाली में भी पूरा इंदौर रौशनी, आनंद के शबाब पर है। किसी भी क्षेत्र में जाओं रहवासी, व्यापारिक, औद्योगिक और सारा शहर रौशनी से सराबोर हो रहा है, पुरानी परंपरा को निखारने के साथ आधुनिक दौर को रचते - गढ़ते हुए। इसीतरह त्योहार का भरपूर आनंद लेते रहेंगे।

वर्तमान समय में इंदौर दुनिया में मशहूर है परंपरागत त्योहारों होली, दशहरा, दीवाली को विशाल पैमाने पर मनाने के लिए, शिक्षा व चिकित्सा का हब हैं, स्वच्छता में सफाई में लगातार कई वर्षों से आगे है यहां त्योहारों पर एकता, भाईचारे की मिसाल कायम रहती है। सारे इंदौरी शांतिपूर्वक अपने-अपने त्योहार मनाते हैं आपस में त्योहारों की बधाईयां देते हैं। दीवाली का आनंद और मिसाल हमेशा इसीतरह इंदौर को झिलमिल करती  रहे।

- मदन वर्मा " माणिक "                                                    

इंदौर, मध्यप्रदेश


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