राम नहीं बन सकता हर कोई ....

आज नारी पर होता 

हर अत्याचार शर्मिंदा है। 

और राम नहीं बन सकता हर कोई 

रावण सभी में जिंदा है।। 


आज बिटिया जैसे सभी

के गले का फंदा है।

और गर्भ में मार देते हैं बिटिया 

रावण सभी में जिंदा है।। 


आज रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार

समाज का, बहतरीन परिंदा है।

बुढ़े मां बाप निकल घर से

अब घर का कुकुर बाशिंदा है।। 


अब चहरे पर चहरा लगाकर

आंखों में निष्ठा छुपाकर

निर्दोषी को दोषी बनाकर 

रावण चैन से जिंदा है। 


आज वीर सपूतों के शहादत की

नेता जी करते निन्दा है।

और राम नहीं बन सकता हर कोई 

रावण सभी में जिंदा है।। 


राम ने अपनों के लिए 

रावण का सर्वनाश किया

और मानुस ने तो अपनों का ही

बीच रोड संगहार किया 


आज घर में चिड़िया दुपकी बैठी 

घात लगाए, दरिंदा है 

लुटती अस्मत बहन, बेटियां 

रावण सभी में जिंदा है  


आज़ रावण भी मानव को देख

घनघोर शर्मिंदा हैं

और राम नहीं बन सकता हर कोई

रावण सभी में जिंदा है 


                  कवि शिवम वैरागी

                उत्तर प्रदेश लखनऊ से