जो करना है करो आज तुम

किंचित न कल पे विश्वास  करो।

प्रयत्न करना है करो आज तुम।।

विमुख मत हो कर्तव्य पथ से,

छोड़ो न कल पर संभावनाएं।

वो छू न पाते  हैं लक्ष्य अपना,

स्वप्न जिन्होंने कल पे सजाए।।

सुप्त हैं जो कल की  सोच के,

वही गहन तम में विलुप्त होंगे।

प्रयास करते जो आज अपना,

शुचि  विजय से संतृप्त  होंगे।

क्या  पता   कल आए  न आए,

आज दो पंख को परवाज तुम।

किंचित न कल पे विश्वास करो,

प्रयत्न करना है करो आज तुम।।

सुरभि  बहती   रहती है   निरंतर,

कल की न प्रतीक्षा करती हवाएं। 

भानु की ज्योति सर्वदा प्रस्फुटित,

रुकती न कभी निर्झर की सदाएं।।

जो कल पे  सब टाल के मौन हैं,

क्या  छुएंगे  उन्नति   शिखर  को।

जो कश्तियां हैं गतिमान निरंतर,

भेद देती वो लहरों के कहर को।।

कल   पर न टालो कोशिशों को,

तभी पहनोगे जय का ताज तुम।

किंचित न कल पे विश्वास करो,

प्रयत्न करना है करो आज तुम।।

एस पी दीक्षित 

उन्नाव, उत्तर प्रदेश