युद्ध की त्रासदी।

यह एक अभिशाप है,

दुनिया में बड़ी पाप है,

मानवीय मूल्यों को खत्म करने का,

यह एक कुत्सित अहसास है,

सबको सम्बन्धों से दूर करने का,

एक सम्बल प्रयास है।

यह त्रासदी खत्म कर देती है मानवता को,

सम्बन्धों में कटूता फैलातीं है,

आगे बढ़ने की राह पर,

तरह-तरह की बाधाएं,

नजदीकि से समीपवर्ती क्षेत्रों में ही नहीं,

वैश्विक स्तर पर कष्ट पहुंचाती है।

यहां अनाचार है,

संकट और गहरी चाल से सना हुआ,

कुत्सित अत्याचार है।

यह भीषण आग है,

मन को खत्म करने वाली एक सुराग़ है,

स्वतन्त्र और निरपेक्ष लोकतंत्रात्मक व्यवस्था में,

यह एक दुखद व्यवहार है,

मानवीय मूल्यों को खत्म करने में,

सबसे प्रखर अवतार है।

यह जनजन तक कष्ट पहुंचाती है,

खुशियां और सुकून,

बिल्कुल वीरान कर जाती है।

यह अत्यंत दुर्लभ तकरार है,

हमें सम्हलकर रहने के लिए,

मधुर व्यवहार और आचरण की दरकार है।

यह नवीन जोश और उत्साह को खत्म कर देती है,

खुशियां और आनन्द की,

वैतरणी यहां खूब कुलांचे मारकर,

रोते-रोते हुए ही खत्म होती है।

डॉ० अशोक,पटना, बिहार।