भूभौतिक विद जर्नादन नेगी की 1992 में दी गई चेतावनी को हल्के में लिया शासन - प्रशासन ने

ताप्ती नदी के किनारे तीन दिन से लैंड स्लाइड की घटनासे दहशत का माहौल

बैतूल से रामकिशोर पंवार की सचित्र रिर्पोट                                                                                          

बैतूल : पुण्य सलिला मां सूर्यपुत्री ताप्ती नदी के किनारे बसे एक दर्जन से अधिक आदिवासी बाहुल्य गांवो में इन दिनो दहशत का माहौल दिखाई देने लगा है। जिले के भीमपुर विकासखंड के डोक्या और कोटमी गांव के मध्य ताप्ती नदी के किनारे बने सड़क मार्ग पर लगातार तीन दिन से लैंडस्लाइड पहाड़ फिसलने की घटनाए हो रही है। जिससे ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। 

बैतूल - परतवाड़ा सड़क मार्ग से निकलने वाले दादूढाना से सोनझार कोटमी डोक्या पहुंच मार्ग पर बीते 19 अक्टूबर से आज 21 अक्टूबर सुबह तक लगातार बड़े.बड़े पत्थर फिसलकर मार्ग पर जाम की स्थिति पैदा कर रहे हैं।ग्राम डोक्या निवासी उमेश बिसोने राजू धुर्वे पूर्व सरपंच जिंदुलाल धुर्वे मुन्नालाल कासदे ने बताया कि पहाडिय़ों से आज सुबह भी बड़े - बड़े पत्थर फिसलकर सड़क पर आ गए। यह होना इस क्षेत्र के लिए कोई नई बात नही है लेकिन एक बस एक बड़े हादसे का शिकार होते बाल बाल बच गई। 

ताप्ती नदी के किनारे से लगी पहाडिय़ो से बरसात हो या न हो यहां रोज बड़े - बड़े पत्थर फिसल का गिरते चले जा रहे है। जिससे आसपास के गांव के राहगीरो एवं सड़क से आना- जाना करने वाले दुपहिया और चौपहिया वाहन चालको में भय का वातावरण बना हुआ है। यही कारण है कि आए दिन ग्रामीण पहाडिय़ो से अचानक फिसलने वाले पत्थरो एवं मलबे का सामना कर पड़ रहा है।

 ग्रामीणों के मुताबिक कभी सुबह तो कभी रात में जमीन के भीतर बादल की गडग़ड़ाहट और कंपन जैसा भी महसूस होता है। जो किसी भूगर्भीय हलचल होने का अंदेशा बता रहा है। भूभौतिक विद खंडवा जनार्दन नेगीं ने वर्ष 1992 में भविष्यवाणी की थी कि मध्यप्रदेश की नर्मदा और ताप्ती नदी किनारे पहाड़ी क्षेत्र में भूकंप का सक्रिय केंद्र होने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है।

 जानकार का ऐसा मानना है कि बैतूल जिले में 250 किमी बहने वाली ताप्ती नदी में ऐसे गहरे डोह की संख्या सैकड़ो में है जिसमें पानी भरा रहता है। ऐसे क्षेत्र अकसर पहाड़ी के किनारे देखे गए है जहां पर भूगर्भीय तनाव शुरू होने लगा है। बीते शुक्रवार को ताप्ती नदी के किनारे बसे गांवो एवं उससे लगी पहाड़ी क्षेत्रों में सड़क किनारे की ऊंची कटिंग से पहाड़ी फिसलने की घटनाएं हुई थी। 

इस दौरान एक यात्री बस दुर्घटनाग्रस्त होते भी बची थी। आशंका है कि इस इलाके में कोई भू गर्भीय हलचल हो रही है। मां सूर्यपुत्री ताप्ती जागृति समिति ने पूर्व में भी आशंका जतलाई थी जब खंडवा के भूभौतिक विद जर्नादन नेगी 1992 में दी गई चेतावनी दी थी कि ताप्ती नदी के किनारे सक्रिय भूंकप का केन्द्र है। लगभग 30 साल पूर्व दी गई चेतावनी को मध्यप्रदेश सरकार के साथ - साथ जिला प्रशासन ने भी हल्के में लिया था जिसका नतीजा सामने देखने को मिलने लगा है। 

लगातार इस क्षेत्र में यदि सक्रिय भूंकप का केन्द्र है तो यहां पर होने वाली भूगर्भीय हलचले नदी और पहाड़ी की दिशा - दशा को भी बदलने का काम कर सकती है। ऐसे में नदी का स्वरूप या उसकी धार में आया परिर्वतन आगे आने वाले क्षेत्रो के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।