धर्म और जाति की आड़ में छिपता हूं

आज के बढ़ते ट्रेंड की ओर बढ़ रहा हूं 

कोई आरोप इल्ज़ामअगर महसूस कर रहा हूं 

तो समाज़ धर्म का पीड़ित हूं कह देता हूं 

धर्म और जाति की आड़ में छिपता हूं 


धर्म और जाति को ढाल बनाकर करता हूं 

मेरी धर्मजाति का फायदा उठाते हैं बोलता हूं 

ईडी सीबीआई का फंदा लगाते हैं बोलता हूं 

धर्म और जाति की आड़ में छिपता हूं 


ढाल सिर्फ अपनी नेतागिरी चमकाने बनाता हूं 

हकीकत है धर्मजाति से लेना-देना नहीं मानता हूं 

जनता के सामने शासन प्रशासन को चमकाता हूं 

धर्म और जाति की आड़ में छिपता हूं


हालांकि पहले हरेगुलाबी,पदकी डिमांड करता हूं

काम नहीं बना तो यह सियासी चाल चलता हूं 

धर्म जाति का कार्ड जोर-शोर से खेलता हूं 

धर्म और जाति की आड़ में छिपता हूं 


किसी को बताना मत अपना स्वार्थ चमकाता हूं 

पद और मलाई के लिए शिंगुफा छोड़ता हूं 

तीर निशाने पर लगा तो फायदा उठाता हूं 

धर्म और जाति की आड़ में छिपता हूं 


-लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार कानूनी लेखक चिंतक कवि एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र