कैलिफॉर्निया की रहने वाली लॉरा बराजस नाम की 40 साल की महिला ने तिलापिया नाम की मछली खा ली जिसके बाद उसके दोनों हाथ पैर काटने पड़े। इस महिला ने पास की मार्केट से मछली खरीदी थी जिसे खाने के बाद वह काफी बीमार हो घई। वह मछली विब्रियो नाम के एक बैक्टीरिया से युक्त थी। इस बैक्टीरिया से युक्त सी फूड खाने से शरीर में इंफेक्शन फैल सकता है।
ऐसी इंफेक्टेड मछली खाने के बाद महिला बैक्टीरिया से संक्रमित हो गई थी जिसके बाद उसके हाथ की उंगलियां, पैर, होंठ, काले पड़ गए थे। फिर इस महिला को मेडिकली इंड्यूस्ड कोमा में रखा गया था। उस महिला की किडनी भी फेल होना शुरु हो गई थी। महिला की जान बचाने के लिए उसके हाथ पैरों को भी काटना पड़ा ताकि शरीर में इंफेक्शन न फैल सके। अगर आप भी सी फूड खाते हैं तो कुछ बातों का ध्यान रखना जरुरी है। आइए जानते हैं इनके बारे में....
शरीर में फैली इंफेक्शन
महिला के शरीर में फैली इंफेक्शन का कारण अंडरकुक्ड मछली थी इसलिए यदि आप भी किसी तरह का सी फूड खाते हैं तो उसे अच्छी तरह से पका कर खाएं। सी फूड अगर अच्छे से न पकाया जाए तो शरीर में इंफेक्शन होने की ज्यादा संभावना रहती है। आधा पका खाना खाने से शरीर में फूड पॉइजनिंग होने की संभावान रहती है। इसके अलावा खाने को यदि ठीक तरह से स्टोर न किया जाए तो भी इंफेक्शन बढ़ सकता है।
अच्छी तरह से पकाएं
सी फूड को हमेशा ज्यादा तापमान पर ही पकाना चाहिए। मुख्य तौर पर 75 डिग्री या उससे अधिक इससे कम तापमान पर मछली पकाने के कारण उसमें से बैक्टीरिया नहीं मरते जिसके कारण शरीर में इंफेक्शन बढ़ने लगता है।
बर्तन धोकर पकाएं
सी फूड को हमेशा ठंडे पानी के साथ ही धोएं। इसके अलावा अपने हाथ और बर्तन भी अच्छी तरह धोकर ही खाना बनाएं। हाथ और बर्तन पर लगे बैक्टीरिया भी खाने को गंदा कर सकते हैं।
खरीदते समय रखें ध्यान
इसके अलावा जब भी सी फूड खरीदे तो ध्यान रखें कि उसका मांस डैमेज न हो नहीं तो इसके कारण भी शरीर में इंफेक्शन बढ़ सकती है।
जल्दी कर दें खत्म
सी फूड खरीदने के 2-3 दिन में ही उसे खा लें और कोशिश करें कि जिस दिन सी फूड खरीदे उसी दिन उसको खत्म कर दें। ज्यादा दिनों तक रखे रहने के कारण बैक्टीरिया बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है।
अलग-अलग रखें
कच्चा और पका हुआ सी फूड् भी अलग ही रखें। इससे आपका खाना में क्रॉस कंटैमिनेट नहीं होगा और शरीर में इंफेक्शन फैलने का खतरा भी कम होगा। कच्चे सी फूड को हमेशा 40 डिग्री से कम तापमान पर ही पकाएं।