सुप्रीम कोर्ट से मिली पूर्व एमएलसी को एक और बड़ी राहत

सुप्रीम कोर्ट ने माना गैंगस्टर एक्ट धारा 14/1 का उल्लंघन हुआ

सहारनपुर। पूर्व एमएलसी हाजी इकबाल उर्फ बाला के एक और मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राहत दी है। कोर्ट ने गैंगेस्टर एक्ट में जिलाधिकारी के न्यायालय में आये प्रत्यावेदन का निस्तारण सुनवाई कर एक्ट के प्रोविजन के तहत निस्तारण का उसकी कॉपी याचिकाकर्ता को भी देने का आदेश जिलाधिकारी को दिया है।

याचिकाकर्ता की जिसकी अपील संख्या 105 93/2023 सुप्रीम कोर्ट में फाइल की गई जिसको माननीय सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार करते हुए यू.पी गैंगस्टर एक्ट और सामाजिक गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम की धारा 14, 14/1, 15 में की गई प्रॉपर्टी बाग आदि को सीज कर लिया था जबकि एक्यूज मो जावेद आदि को नोटिस नहीं दिया और एक्यूज कस्टडी में है। 

उसके बावजूद अटैचमेंट किया गया और बागो का नीलामी की गई जबकि जिलाधिकारी को बिना नोटिस दिए अटैचमेंट करने का अधिकार नहीं था । जोकि गैंगस्टर एक्ट की धारा 14/1 का उल्लंघन है पूर्व एम.एल.सी. और उनके परिवार तथा कई संबन्धियों की सैकड़ो करोड़ की संपत्तियो बीते दिनों पुलिस रिपोर्ट के आधार पर जिलाधिकारी ने कुर्क करने का आदेश पारित किया था। 

वर्तमान में हाजी इकबाल फरार हैं और उनके उपर एक लाख रुपये का इनाम भी घोषित है। उनके भाई पूर्व एमएलसी महमूद अली और चार पूत्र जेलों में हैं। इस आदेश के विरूद्ध हाजी इकबाल की ओर बीते 15 जनवरी 2023 को जिलाधिकारी कोर्ट में प्रत्यावेदन सुनवाई के लिए दिया गया था। 

सुनवाई में देर होने पर हाजी इकबाल के अधिवक्ता हाईकोर्ट गए जहां मामला शून्य होने के बाद वह सुप्रीम कोर्ट गए। इस मामले में हाजी इकबाल के अधिवक्ता इंद्रभान यादव ने बताया कि उनका वादी सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन डाली थी कि गैंगेस्ट एक्ट में कुर्क संपत्ति को नीलाम करने का अधिकार नहीं है। इसके बाद भी मेरे 15 जनवरी 2023 के प्रत्यावेदन की सुनवाई किए वगैर मेरे आम और अमरूद के बगीचों की नीलामी करके करोडा़े की आय प्रशासन ने की है। 

जो गलत और गैंगस्टर एक्ट धारा 14/1 का उल्लंघन है नियम विरूद्ध है। श्री यादव ने बताया कि कोर्ट ने हमारी और सरकारी पक्ष की सुनवाई करने के बाद जिलाधिकारी को आदेश दिया है कि वह 15 जनवरी 2023 के प्रत्यावेदन का निस्तारण नियमानुसार करें और याचिकाकर्ता करता को भी कॉपी उपलब्ध कराने का आदेश।