नटखट कान्हा।

हम सब क्या कहें,

नटखट कान्हा या अनूठेपन का,

सर्वोत्तम रूप वाले कन्हैया,

सबके खेवनहार अर्थात,

प्यार और स्नेह के हैं जो कहलाते हैं,

आज़ के युग में हैं सहजता से स्वीकार्य,

सबसे अद्भुत व खूबसूरत रवैया।

नटखट कान्हा तेरी बंसी ने,

समग्र समाज को जगाया है,

खूबसूरत अहसासों को,

सबके दिलों में बसाया है,

बालपन की तस्वीर अनोखा था,

चंचलता को लेकर आपका,

समग्र रूप में बोलबाला था,

तेरी हर अदाएं गोपियां चाहतीं थीं,

मन को आनंदित करने में,

आपके नटखट कान्हा की जरूरत,

दिल से खूब पहचानतीं थीं।

माखनचोर से एक सुंदर उपनाम मिला,

हर घर में पूजा घर आंगन का,

भरपूर सम्मान मिला।

बंसी ने एक आगाज़ दी,

सबमें खुशियां भरपूर भरी,

गोपियां सब परेशान दिखीं,

सब फिर भी गुणगान ही की,

यहां मादकता और सुकून का रंग मिला,

सबमें अनूठा प्रसंग दिखा।

आज़ कृष्ण की जन्म तिथि है,

सबमें खुशियां छिपीं हुईं है,

सबकी चाहत और चिन्ता है,

नटखट कान्हा के प्यार पर,

सबमें उतर आईं प्रसन्नता है।

डॉ० अशोक,पटना, बिहार।