भारत सहित दुनिया भर में प्रदूषण को कम करने के लिए किए जा रहे प्रयास, पर्टिकुलेट मैटर 2.5 में गिरावट दर्ज

नई दिल्ली : भारत और चीन सहित दुनियाभर में प्रदूषण को कम करने के लिए जो प्रयास किए जा रहे हैं, उनके परिणाम दिखने लगे हैं। एक अध्ययन में दावा किया गया है कि दुनियाभर में पर्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 में गिरावट दर्ज की गई है। पीएम 2.5 के कारण बच्चों में आजीवन विकासात्मक समस्याएं पैदा हो सकती हैं और सामान्य आबादी के लिए प्रदूषण के ये कण समय से पहले मृत्यु का कारण भी बन सकते हैं।

पीएम 2.5 के संपर्क में आने से उत्पन्न होने वाले स्वास्थ्य संबंधी दुष्प्रभावों को कम करने के लिए कई देशों ने कदम उठाए हैं। स्वास्थ्य संबंधी ये परेशानियां बड़े पैमाने पर पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों जैसे कि जीवाश्म ईंधन या लकड़ी जलाने से उत्पन्न होती हैं। इन्हें कम करने से सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं। वाशिंगटन विश्वविद्यालय के मैककेल्वे स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग के प्रोफेसर रान्डेल मार्टिन के नेतृत्व में किए गए अध्ययन में शोधकर्ताओं 1998 से 2019 तक पीएम 2.5 के आंकड़ों की जांच की। इसमें सामने आया कि पीएम 2.5 का स्तर 1998 से बढ़कर 2011 में चरम पर पहुंच गया था। इसके बाद  2011 से 2019 तक लगातार कम हुआ। अध्ययन में कहा गया है कि भारत और चीन में इसके खतरों में उल्लेखनीय कमी और अन्य क्षेत्रों में धीमी वृद्धि देखी जा रही है।

अध्ययनकर्ताओं के अनुसार, 2011 के बाद से जिन क्षेत्रों में प्रदूषण के स्तर में कमी देखी गई इनमें उत्तरी अमेरिका और पश्चिमी यूरोप खासतौर पर शामिल हैं। अध्ययनकर्ताओं ने भारत और चीन में हाल ही में उभरती गिरावट को विशेष रूप से आश्चर्यजनक बताया। भारत और चीन में कठोर वायु गुणवत्ता प्रबंधन, जो 2014 के बाद से सबसे अधिक स्पष्ट हुआ है, इस वैश्विक उलटफेर में सबसे बड़ा योगदानकर्ता साबित हुआ है।