ब्रह्मलीन श्रीश्री 1008 स्वामी तुरीयानन्द महाराज का 148वां अवतरण दिवस श्रद्धापूर्वक मनाया

सतत परिश्रम, पुरूषार्थ व अभ्यास करने से असाध्य कार्य भी हो जाते है: स्वामी विवेकानन्द गिरि

सहारनपुर। सिद्धपीठ स्वामी तुरीयानन्द सत्संग सेवा आश्रम, कृष्णा नगर मण्डी समिति रोड स्थित आश्रम पर श्री श्री 1008 स्वामी तुरीयानन्द महाराज का 148वां अवतरण दिवस बड़ी श्रद्धा एवं उल्लास के साथ हर्षोल्लास पूर्वक श्रद्धालुओं द्वारा मनाया गया।  कार्यक्रम में पंडित दीपक अग्निहोत्री द्वारा रामचरित मानस पाठ व हवन यज्ञ किया गया तत्पश्चात श्रद्धालुओं पर अपनी अमृतवर्षा करते हुए गद्दीनशीन स्वामी विवेकानन्द गिरि महाराज ने कहा कि भगवान ही हमारा सब कुछ करेगा, वही हमारा उद्धार करेगा, परन्तु ऐसा कुछ भी नहीं है, भगवान ने सृष्टि रचकर, केवल मानव को ही कर्म योनि दी है, बाकि सारी की सारी योनियों को भोग-योनि दी हैं।

उन्होंने कहा कि हमारा समर्पण, हमारा उन्नतम आध्यात्मिक चेतना ही हमारी रक्षा करेगी, हमें सुरक्षा-कवच प्रदान करेगी हमारे हृदय में भगवान के प्रति कूट-कूट कर प्रेम भरा होना चाहिए। सतत परिश्रम, पुरूषार्थ व अभ्यास करने से असाध्य से असाध्य काम भी हो जाते हैं। श्री महाराज ने कहा कि निरन्तर चेष्टा व अभ्यास करने से, निठल्ला और जड़ बुद्धि, मंद बुद्धि, मोटी बुद्धि वाला व्यक्ति भी कुछ करने योग्य हो जाता है। कुछ पाने के लिए केवल अच्छा इरादा काफी नहीं, मेहनती और अभ्यासी होना अनिवार्य है। 

स्वामी विवेकानन्द गिरि ने कहा कि छोटे-छोटे जीव जन्तु पशु पक्षी भी पुरूषार्थ और अभ्यास को पहचानते हैं। नन्ही सी चींटी, भोजन का ग्रास लेकर चलती है, बार-बार गिरती है, फिसलती है अंत में लक्ष्य को पा लेती है। उन्होंने कहा कि पुरूषार्थ और अभ्यास वह अणु शक्ति है, जिसका जीवन के किसी भी क्षेत्र में प्रयोग करके, कोई भी मंजिल पाई जा सकती है। कार्यक्रम में नगर के कई वरिष्ठ तथा गणमान्य नागरिकों के अलावा दूर दूराज से आयी संगत ने गद्दीनशीन महाराज जी से आशीर्वाद लिया।