हाई ब्लड प्रेशर से लेकर डायबिटीज कंट्रोल करेगा कलौंजी का तेल, जानिए अचूक फायदे

भारतीय मसालों के तौर पर इस्तेमाल होने वाली कलौंजी खाने का स्वाद तो बढ़ाती है पर यह स्वास्थ्य के लिए भी बेहद फायदेमंद होती है। सिर्फ कलौंजी ही नहीं इससे बना तेल भी स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी माना जाता है। इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व ब्लड प्रेशर, डायबिटीज कंट्रोल करने में मदद करते हैं। तो चलिए आज आपको बताते हैं इसे तेल से और क्या-क्या स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं....

कोलेस्ट्रॉल का लेवल होगा कम 

कलौंजी का तेल कोलेस्ट्रॉल कम करने में भी मदद करता है। इसमें पाए जाने वाले एंटीहाइपरकोलेस्टरोलेमिक गुण कोलेस्ट्रॉल का स्तर कंट्रोल करने में मदद करते हैं। इससे बना तेल और पाउडर दोनों ही कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करने के लिए लाभकारी हो सकते हैं। 

अस्थमा के मरीजों को होगा फायदा 

इसका इस्तेमाल सूजन संबंधी परेशानियों के दूर करने के लिए भी किया जाता है। यह तेल सिर्फ अस्थमा का उपचार ही नहीं करता बल्कि पल्मोनरी फंक्शन यानी की फेफड़े से संबंधित स्थिति को सुधार करके सांस लेने का स्तर भी सही करता है। इस तेल का इस्तेमाल एलर्जी के उपचार के लिए भी किया जाता है। एलर्जी के कारण बार-बार आने वाली छींकों के लिए भी यह तेल बेहद लाभकारी होता है। 

याददाश्त होगी मजबूत 

यदि आपको भूलने की बीमारी है या फिर चीजें याद नहीं रहती तो भी यह तेल आपके लिए बेहद लाभकारी हो सकता है। इस तेल में न्यूरोप्रोटेक्टिव प्रभाव पाया जाता है जो मस्तिष्क को ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से होने वाले नुकसान से बचाता है जिससे याद रखने की क्षमता बढ़ती है। 

गठिया के मरीजों को होगा फायदा 

तेल में पाए जाने वाले एंटीइंफ्लेमेटरी और एनाल्जेसिक गुण पाए जाते हैं जिससे रुमेटाइड अर्थराइटिस गठिया की समस्या में लाभ मिलता है। इसके अलावा यह ऑस्टियोऑर्थराइटिस में घुटनों का दर्द दूर करने के लिए भी बेहद लाभकारी माना जाता है। यदि आप गठिया से जूझ रहे हैं तो इस तेल से दर्द वाली जगह पर मालिश करें। दर्द से काफी आराम मिलेगा। 

डायबिटीज रहेगी कंट्रोल 

यह तेल डायबिटीज रोगियों के लिए बेहद लाभकारी है। इसमें मौजूद एंटीडॉयबिटीक गुण डायबिटीज का जोखिम कम करने में मदद करते हैं। शोध की मानें तो इस तेल का इस्तेमाल करके टाइप-2 डायबिटीज को कंट्रोल किया जा सकता है। यदि आप डायबिटीज के मरीज हैं तो इस तेल को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। 

पेट रहेगा स्वस्थ 

पेट संबंधी समस्याओं के लिए भी कलौंजी बेहद लाभकारी साबित होती है। इस तेल में पाए जाने वाले गैस्ट्रो प्रोटेक्टिव गुण पेट का एसिड बढ़ाने और पेट से जुड़े घावों का कारण बनने वाली गैस्ट्रिक म्यूकोसल हिस्टामाइन को घटाने में मदद करते हैं जिससे पेट संबंधी समस्याओं जैसे गैस्ट्रिक, अल्सर से बचाव रहता है। परंतु यदि आपकी पेट से संबंधी ज्यादा समस्या है तो डॉक्टर की सलाह लेकर ही कलौंजी का तेल इस्तेमाल करें। 

हाई ब्लड प्रेशर रहेगा कंट्रोल 

यदि आपका ब्लड प्रेशर बढ़ता है तो उसके लिए भी कलौंजी का तेल बेहद लाभकारी माना जाता है। शोध की मानें तो कलौंजी का तेल हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद करता है। शोध में इस बात का खुलासा हुआ है कि रोजाना 5 मिली लीटर कलौंजी के तेल का सेवन करने से बीपी कम होता है। इसके अलावा कलौंजी के बीजों में एंटी हाइपरटेंशन प्रभाव होता है जो हाई ब्लड प्रेशर कम करने में मदद करता है।

आसानी से भरेंगे घाव 

यदि आपको कोई चोट लगती है और त्वचा पर घाव का हो जाता है तो उसके लिए भी यह तेल बेहद लाभकारी है। कलौंजी के बीजों में एंटीफंगल, एंटीबैक्टीरियल और घाव भरने वाले गुण पाए जाते हैं। इसके अलावा इस तेल में त्वचा का संक्रमण और सूजन कम करने वाले प्रभावी गुण भी मौजूद होते हैं जो घाव भरने में मदद करते हैं। हालांकि हल्के-फुल्के घाव भरने के लिए यह तेल फायदेमंद है किंतु यदि आपका घाव ज्यादा है तो एक बार डॉक्टर से जरुर संपर्क करें।

कैसे करें इसका सेवन? 

सब्जी का स्वाद बढ़ाने के लिए आप थोड़ी मात्रा में कलोंजी का तेल मिला सकते हैं। इसके अलावा इसका इस्तेमाल दाल फ्राई या अन्य पकवान फ्राई कनरे के लिए भी कर सकते हैं। सलाद की ड्रेसिंग में भी आप इस तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। हालांकि यह स्वाद में कड़वा होता है ऐसे में आप इसमें शहद डाल सकते हैं। इसके अलावा यह तेल आप आचार में भी इस्तेमाल कर सकते हैं। 

कब करें सेवन? 

यह तेल सुबह नाश्ते में, दोपहर के खाने में या रात के खाने में इस्तेमाल कर सकते हैं।

कलौंजी के तेल के नुकसान 

. इस तेल के कई नुकसान भी हैं। इस तेल के नुकसान के कारण स्टीवेंस जॉनसन सिंड्रोम की समस्या भी हो सकती है । यह एक तरह की स्किन एलर्जी होती है जिसके कारण चकत्ते और फफोले भी हो सकते हैं।

. त्वचा पर इस तेल का इस्तेमाल करने से टॉक्सक एपिडर्मल नेक्रोलिसिस की समस्या हो सकती है इस समस्या में त्वचा छिलने या फिर फफोले भी हो सकते हैं। 

. यदि गर्भावस्था में कलौंजी का सेवन किया जाए तो गर्भाश्य का कांट्रेक्शन धीमा हो सकता है जिससे गर्भवती महिलाओं को नुकसान हो सकता है। ऐसे में गर्भवस्था में महिलाओं को डॉक्टरी सलाह पर इस तेल का सेवन करना चाहिए।  

हालांकि कलौंजी के तेल के कई सारे फायदे हैं परंतु यदि इसका सेवन सुरक्षित मात्रा में न किया जाए तो नुकसान भी हो सकता है। इसके अलावा इसका सेवन सीमित मात्रा में ही करें।