हिंसा क्या होता है,
हमें न सिखाओ,
हमें न बताओ,
हम वो जमात हैं
जिसने हिंसा सहे है,
हजारों सालों से डर डर कर
उस खतरनाक माहौल में रहे हैं,
हमें उस क्रूरता का गुण दोष मत सिखाओ,
हिंसा का डर हमें मत दिखाओ,
आपके किये उपद्रवों के कारण
हमने अपने लोग खोये हैं,
संपत्ति खोकर,
पति खोकर,
पुत्र खोकर,
आबरू खोकर,
हमारी महिलाएं खूब रोये हैं,
हिंसा तुम्हारा हथियार रहा है,
हमें डराने के लिए,
हमें रुलाने के लिए,
हमारा हक़ खाने के लिए,
अपना हुक़ूमत जमाने के लिए,
शिक्षा से दूर ले जाने के लिए,
समानता न आ पाने के लिए,
आज कायम हो
अपने उसी अंदाज पर,
चिपके हो अमानवीय रिवाज़ पर,
आरक्षण बंद करते जा रहे हो,
शिक्षा महंगा बना रहे हो,
अहसान कर रहे हैं कह
बेमतलब का गाल बजा रहे हो,
अनर्गल शोर मचा हो,
पर मत भूलो अब
हम सब कुछ सहन करने लोग नहीं हैं,
पलट कर रख देंगे एक दिन,
तुम्हारी सोच,
तुम्हारी हिंसा,
तुम्हारे नियम,
और तुम्हारा सत्ता।
राजेन्द्र लाहिरी पामगढ़ छ ग