गजेन्द्र मोक्ष, मुक्तहरा सवैया August 14, 2023 • दैहिक स्वतंत्रता न्यूज़ नेटवर्क अनन्त कृपा गजराज समीप, चले प्रभु क्षिप्र बिना पदत्रान।रहें तप लीन अतीत विधान, अगस्त्य व्रती करते अहवान।।प्र-शांत करें नृप ध्यान, मिला ऋषि श्राप तभी गज जन्म अहान।सरोवर ग्राह धरे जब पाँव, वरें विभु मोक्ष सु-पार्षद मान।।मीरा भारती,पटना, बिहार।