गजेन्द्र मोक्ष, मुक्तहरा सवैया

अनन्त कृपा गजराज समीप, चले प्रभु क्षिप्र बिना पदत्रान।

रहें तप लीन अतीत विधान, अगस्त्य व्रती करते अहवान।।

प्र-शांत करें नृप ध्यान, मिला ऋषि श्राप तभी गज जन्म अहान।

सरोवर ग्राह धरे जब पाँव, वरें विभु मोक्ष सु-पार्षद मान।।

मीरा भारती,

पटना, बिहार।