बिजनौर की धरती पर जन्मे स्वतंत्रता सेनानी लाला रामचरण

लाला रामचरण अग्रवाल दिल्ली के प्रथम पंक्ति के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। चांदनी चैक में इन्हें बच्चा-बच्चा जानता था। महात्मा गांधी पंडित नेहरू राजेंद्र प्रसाद अरूणा आसफ अली जैसे बड़े नेताओं से इनका बड़ा गहरा परिचय था। इनका जन्म उत्तर प्रदेश के जनपद बिजनौर में हुआ था। जब इनकी आयु मात्र तीन-चार वर्ष थी तब से ही इनके पिता व्यापार के सिलसिले में परिवार सहित दिल्ली जाकर रहने लगे थे। ऐसे कारणों से अपवाद को छोड़कर जनपद बिजनौर के लोगों को अभी तक यह ज्ञात नहीं था कि रामचरण अग्रवाल जैसे महान सेनानी का जन्म जनपद बिजनौर की धरती पर हुआ था। 

बिजनौर के किसी सरकारी अथवा व्यक्तिगत अभिलेख में रामचरण अग्रवाल का जिक्र सुलभ नहीं। आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान बिजनौर के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों पर गहन अध्ययन और विशेष शोध कार्य करने वाले ग्राम फीना निवासी और क्षेत्रीय इतिहास संकलन एवं लेखन अभियान बिजनौर के संयोजक इं. हेमंत कुमार ने अपने अध्ययन के दौरान इस बात के संकेत पाए कि लाला रामचरण अग्रवाल का संबंध बिजनौर की धरती से भी है। 

इसके बाद निरंतर प्रयास करके हेमन्त ने अनेक प्रमाण ढूंढ निकाले जिनसे सिद्ध हुआ कि ये बिजनौर मूल के सेनानी है। पूर्व में भी हेमंत कुमार बिजनौर के इतिहास का गौरव बढ़ाने वाले अनेक तथ्य खोजकर सामने ला चुके है।  रामचरण अग्रवाल के व्यक्तित्व और कृतित्व पर चर्चा करते हुए वे बताते है कि रामचरण अग्रवाल का जन्म जनपद बिजनौर के नजीबाबाद में 02 दिसम्बर .1917 को हुआ। इनके पिता दिल्ली में स्वतंत्रता आन्दोलन से जुड़े थे।

 अपने पिता को देखकर रामचरण किशोरावस्था में ही आन्दोलन सम्बन्धी गतिविधियों में शामिल हो गए और मात्र 16-17 साल की आयु में ही दिल्ली ईकाई कांग्रेस के कोषाध्यक्ष बना दिये गए। आप सन 1939 सन 1942 और सन 1945 में तीन बार अंग्रेजों द्वारा जेल भेजे गए। सन 1940-41 के व्यक्तिगत सत्याग्रह आन्दोलन में महात्मा गाँधी ने दिल्ली से 11 स्वतंत्रता सेनानियों को गिरफ्तारी देने के लिए चुना उनमें से रामचरण अग्रवाल भी एक थे।

 इनके घर पर आन्दोलन सम्बन्धी अनेक मीटिंग हुईं। स्वतंत्रता के बाद आप दिल्ली के प्रथम उप महापौर बने। इनका निधन 25.07.1977 को दिल्ली में हुआ। इंदिरा गाँधी शोक जताने के लिए उनके घर पहुँची थीं। इनके नाम पर दिल्ली में एक चैराहे का नामकरण किया गया है। भारत सरकार ने राष्ट्र सेवा में इनके योगदान को देखते हुए इन पर डाक टिकट भी जारी किया। दिल्ली के अन्दर आज भी रामचरण अग्रवाल निडर ईमानदार सिद्धांतप्रिय बात के धनी नेता के रूप में जाने जाते थे।