साहित्य राष्ट्र की महानता वैभव का दर्पण

साहित्य राष्ट्र की महानता 

और वैभव का दर्पण होता है 

साहित्य को आकार देने में संस्कृति 

और परंपराओं का महत्वपूर्ण रोल होता है 


साहित्य का ख़जाना भारत में अनमोल है

साहित्य को जीवंतमय बनाने में 

प्रिंट इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का महत्वपूर्ण रोल है 

कायम रखने में हमारे पूर्वजों का विशेष रोल है 


सच्चाई को लेखनी से सलाम करते हैं

उनकी लेखनी अस्त्र महत्वपूर्ण कलम है 

बुराई का धागा तीव्र कलम अस्त्र से काटते हैं 

लेखक कवि बुद्धिजीवी पत्रकार को सलाम है


जो साहित्य और कविताएं सामाजिक कल्याण 

पर केंद्रित है वह कालजई होती है 

यही कारण है रामायण और महाभारत 

जैसे महाकाव्य आज भी हमें प्रेरणा देते हैं


हमारे भारत के ज्ञान भण्डार में इतनी जबरदस्त 

एवं चमत्कारिक बातें छिपी हुई हैं, 

हम यह सोचने पर विवश हो जाते हैं कि 

विराट ज्ञान हमारे पास कहां से सवालिया निशान है


आयाजब उस प्राचीनकाल में यह जबरदस्त 

ज्ञानभंडार हमारे पास था, तो अब क्यों नहीं है 

यह ज्ञान कहां चला गया

सबसे बड़ा सवालिया निशान है


-लेखक- कर विशेषज्ञ, साहित्यकार, स्तंभकार कानूनी लेखक, चिंतक कवि, एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र