स्मृतियों का मौसम

स्मृतियों का भी तो इक मौसम होता है,

विस्मृत पृष्ठों का अवलोकन होता है,

मुस्कानों के बीच नयन की कोरों में,

कभी कभी बेमौसम सावन होता है।।

विस्मृत पृष्ठों का अवलोकन होता है।।

धीरज की डोरी से बंधे हुए मन में,

कहीं किसी क्षण उठते कई बवंडर से,

अन्तस् में संताप-उर्मि के उठने से,

सुख की घड़ियों का अवमोचन होता है।

विस्मृत पृष्ठों का अवलोकन होता है ।।

नयनों के मोती ठहरे ही रह जाएं,

श्वांसो के अनुताप भले न बह पाएं,

सुन्दर मृदुहासों के झीने घूंघट में,

उर के अनुतापों का गोपन होता है।

विस्मृत पृष्ठों का अवलोकन होता है।।

भावों का ज्यों उदधि उमड़ता लहराता,

हृदय सरोवर दिन प्रतिदिन यों गहराता,

मानों सम्मुख दर्शित होते दृश्यों का,

अश्रुधार में नित्य विलोपन होता है।।

विस्मृत पृष्ठों का अवलोकन होता है।।

© डॉ0 श्वेता सिंह गौर, हरदोई