आगे राखी के तिहार

मया-पिरीत के जिहां दुलार ,

बोहाथे पिरीत के निरमल धार ।।


भैय्या- दीदी के मया के बंधना ,

महके सुग्घर फुलवारी अंगना ।।


 रिमझिम सावन के हे फुहार ,

आगे सुग्घर राखी के पावन तिहार।।


सज-धज के अब भाई बैईठें हे तियार ,

दीदी बांधही राखी मिलही उपहार ।।


मया-दुलार संग खुशी मिलही अपार,

राखी के बंधना संग आशीष अऊ दुलार।।


रचनाकार-

डोमेन्द्र नेताम (डोमू)

मुण्डाटोला डौण्डीलोहारा

जिला- बालोद (छ.ग.)