क्यों खेलते हो
जज़्बातों से
क्यों करते हो
शोषण
क्यों करते हो
चीरहरण
क्यों करते हो
हत्या
क्यों उठाते हो
हाथ
क्यों फेंकते हो
तेजाब
बस सिर्फ स्त्री हूँ
इसलिये
ना पूछा तुमने न मैंने कहा
बस की मनमानी
फिर काट मार फेंक
दिया किसी जंगल में
और बस कर ली हवस
अपनी पूरी
समझ एक बेजान जान
उसपर अमानवीयता की
हद फेंक दिया तड़प कर
मरने को बना जिंदा लाश
या कचरे की तरह काट फाड़
फेंक दिया कर छोटे छोटे टुकड़े
ना पूछा तुमने न मैंने कहा
ना समझा तुमने न मैंने कहा
बस की मनमानी
बस की दरिंदगी
बस की हैवानियत
......मीनाक्षी सुकुमारन
नोएडा