जीवन प्राण की गति को एकता दे,
सुख सहूलियत के साथ सफलता दे,
प्रारब्ध से स्वर्गवास तक अंग का
परम् हितैषी परम् सुहृद चित्त कौन !
तुमसे बेहतर हमारा मीत कौन !
ज्ञान व आनंद की सतत धारा दे,
विलक्षण समता की प्रणत सहारा दे,
भूत से भविष्य तक कामनाओं की
परम् सहचारी परम् रक्षक चित्त कौन !
तुमसे बेहतर हमारा मीत कौन !
पद पद पर सौभाग्य नीरवता दे,
बड़प्पन से भरी सच्ची नम्रता दे,
सारी उम्र अनुकूल कर्तव्य कर्म का
परम् प्रसशंक परम् प्रियतम चित्त कौन !
तुमसे बेहतर हमारा मीत कौन !
✍️ ज्योति नव्या श्री
रामगढ़ , झारखंड