शिक्षक देश का दर्पण,
शिक्षक बनाओ उसे ही,
जो स्व शिष्य के उज्जवल भविष्य हेतु,
करे खुद को समर्पण।
जिंदगी में अहम है गुरु का स्थान,
हमेशा करें इनका सम्मान।
शिक्षा हीन जीवन पशु समान,
शिक्षक ही जीवन का आधार।
एक शिक्षक संभाले,
भांति -भांति के बच्चे,
गुरु-शिष्य का रिश्ता ऐसा,
जहां न ,जाति-धर्म का भेद-भाव।
शिक्षक का चुनाव हो ऐसे,
देश का निर्माता चुनाता हो जैसे।
शिक्षक चुनाव हेतु हो कठिन परीक्षा,
बिना व्यक्तित्व परीक्षण के,
कभी न चुना जाए शिक्षक।
कोरा कागज होता बाल मन,
उस पर अंकित होता वही,
जो चाहते शिक्षक।
सफलता की पहली सीढ़ी,
चांद को छूने का हौसला दे,
ऐसा वरदान है शिक्षक।
(स्वरचित)
सविता राज
मुजफ्फरपुर बिहार