दया में भाव हो सारे
सुखों के बीज बो प्यारे
बसी उर भावना मेरी,
करूँ आराधना तेरी ||
बिना तेरे रहूँ कैसे,
बिना जल मीन के जैसे |
चले आओ सुनो मेरी,
करूँ मैं वंदना तेरी ||
पधारो श्याम जी प्यारे,
परम सौभाग्य हो द्वारे |
तुझे परमार्थ भायेगा,
नहीं कुछ व्यर्थ जायेगा ||
दया का भाव हो प्यारे,
सहारा हम बने सारे |
मनुज काया नहीं तेरी,
जगत माया सभी मेरी ||
मिटा दो अंधकारों को,
जले अब दीप द्वारों को |
सुनो अब धर्म को धारो,
वचन तुम सत्य स्वीकारो ||
दया ही वो खजाना है,
जिन्हें सब पर लुटाना है |
दया करना सदा दाता,
जुड़ा तुमसे रहे नाता ||
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कवयित्री
कल्पना भदौरिया "स्वप्निल "
लखनऊ
उत्तरप्रदेश