बनना नेक इंसान, बढ़ेगा जग में मान,
रहना देश की शान,शुद्ध भाव रखिये |
करो पितरों से प्यार, होगा सकल उद्धार,
मिलेगा बहुत दुलार,ज्ञान अधर चखिये ||
शिक्षा देश आधार, मिलते है सुसंस्कार,
जाने सकल संसार, ध्यान सदा रखिये |
काम क्रोध लोभ मोह, राग रंग सब विछोह,
छोड़ दो सारे कोह, भावना परखिये ||
करना देश पर नाज, हिमालय ही है ताज,
चलती लेखनी आज, परचम कर धरिये ||
जीवन में हो उमंग, रंगो प्रेम के रंग,
करना झूठ सब भंग,प्रेम गान करिये ||
देश प्रेम बोल गीत, साध साधना सुप्रीत,
सजे समर संग मीत, सौम्य स्नेह भरिये |
धन्य धरा मातु प्रेम, करती सदा सम क्षेम,
धरो ध्यान गान नेम,शौर्य साज करिये ||____________________________
कवयित्री
कल्पना भदौरिया "स्वप्निल "
लखनऊ
उत्तरप्रदेश