भाई बहन के प्रेम का पावन यह त्यौहार,
रक्षाबंधन सब कहे आये साल में एक बार।
भाई की कलाई में सजे बहन का प्यार,
बहन पायें उपहार,दे आशीष हजार।
यूँ तो भाई बहन में होती रहती हँसी ठिठोली,
सबसे ज्यादा रोये भाई,जब उठे बहन की डोली।
बहन की रक्षा खातिर भाई जग से लड़ जाये,
बहन भी अपने भाई के सारे नाज़ उठाये।
है इनका रिश्ता अलबेला होती रहती तकरार,
एक-दूजे बिन रह न पाये इनमें होता अटूट प्यार।
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सोनल सिंह "सोनू"
कोलिहापुरी, दुर्ग (छ. ग.)