संघर्षों की लंबी कहानियां..

देख रहे हो न,,

सुदूर,,वो बरगद का पेड़

कई पीढ़ियों से खड़ा है 

यूं ही अडिग ,

झेलते हुए

कभी मौसमों की मार,,कभी युगों के संताप,,

अवशोषित किए होंगे स्वयं में असंख्य यातनाओं के श्राप,,


भले समय रहा हो कोई भी

स्वयं को बचाए रखने की चुनौतियां 

पहले भी थी,,आज भी हैं,, कल भी रहेंगी !!


फिर भी

संभाले रखा है इसने अनवरत

बादलों को,, बारिशों को,, हवाओं को,,

और न जानें कितनी ही सभ्यताओं को !!


शायद तुमने पढ़ी नहीं हैं अब तक

इसके तने पर खुरची हुईं 

ये अनगिनत संघर्षों की लंबी कहानियां,, नहीं न !!


नमिता गुप्ता "मनसी"