अचानक लैपटॉप पर कंपनी का अल्टीमेटम देख कर ऋषभ उदास होकर सोच में पड़ गया ।
" ये क्या, चाय ठंडी हो गयी, और तुम सपनो में खोए हो।"
घूर कर नीता को देखते हुए बोला," हिम्मत नही पड़ रही, पर तुम्हे तो बताना ही होगा।"
"अरे इतना क्या सोच रहे हो, जल्दी बोलो।"
"बॉस का मैसेज आया, मेरी जॉब चली गयी, कंपनी लॉस पर है।"
"बस इतनी सी बात, कोशिश करने वालो की हार नही होती, दूसरी जॉब मिल जाएगी और नीता उसके सर पे हाथ फेरने लगी ।"
" उसे बचपन याद आ गया, लगा सामने मम्मी खड़ी है।"
"मै हूं ना। तुम्हारे मना करने के बावजूद मैं छह महीने से बेकरी का काम कर रही हूं, पूरी सोसाइटी में लोग नीता बेकरी को जानते हैं। सबके जन्मदिन पर केक मेरे ही यहां से जाता हैं, और भी स्नैक्स मैं भेजती हूँ, मैने बैंक एकाउंट भी बढ़िया से मेन्टेन किया है, तुम्हे भी आराम करने का हक़ है, मेरे प्राणप्रिय......"
स्वरचित
भगवती सक्सेना गौड़
बैंगलोर