रक्षाबंधन का त्योहार, खुशियां लाए अपरम्पार
स्नेह,वात्सल्य की गंगा, यहां प्रेम लुटाए बारम्बार
रक्त सम्बन्धी हो या पराये,एक डोरी में बांधे प्यार
सम्पूर्ण जगत को देता शिक्षा,रक्षाबंधन का त्योहार
कच्चे धागे से निर्मित,होती सुदृढ़ रिश्तों की डोरी
क्षितिज तलक ऊंचाई इसकी,वारिधि जैसी गहराई
भाई बहन के रिश्ते की सुगंध, सारी सृष्टि में समाई
इस अलौकिक नेहबंधन की, सबको हार्दिक बधाई
सुरक्षा का वचन निभाने,भाई बन जाए यहां चट्टान
ऐसा अटूट है यह बंधन,थाह नहीं कोई पाया जान
प्रकाश पुंज बन छा जाए,फिर दोनों ही पाएं सम्मान
समृद्ध रिश्तों से सजा पर्व,भारतीय संस्कृति की शान
बहन की एक पुकार पर,देखों गिरधर दौडे आते हैं
थक गया पापी दुशासन,आकर ऐसा चीर बढ़ाते हैं
धर्म,जाति से ऊपर उठकर, हुमायूं रक्षा करने जाते
रानी कर्मावती की खातिर,युद्ध का बिगुल बजाते
भाई बहन के रिश्तों की,मिलती ऐसी मिसाल यहां
भारत की पावन धरती पर,रिश्तों की अनमोल धरोहर
स्नेह के नातें निभाने में,न्यौछावर कर देते जान जहां
रक्षाबंधन पर्व जैसा दुनिया में, मिलता है त्योहार कहां
स्वरचित ,मौलिक एवं अप्रकाशित
अलका शर्मा, शामली, उत्तर प्रदेश