दिल्ली में संसद बोल रही।
दिल्ली की संसद बोल रही।।
संसद के छात्र सुनो तुम।
संसद का पाठ पढ़ो तुम।
इसकी परिभाषा सीखो,
नियमों को याद करो तुम।।
इतिहास के पन्ने खोल रही।
दिल्ली में संसद बोल रही।।
ये भारत का विद्यालय है।
ऊँचाई में हिमालय है।
गहराई है सागर जैसी,
देश का अटल शिवालय है।।
इसकी कीमत अनमोल रही।
दिल्ली में संसद बोल रही।।
ये ताना- बाना बुनती है।
जन-जन की पुकार सुनती है।
भारत की चाबी कहलाती,
ये वीरों को ही चुनती है।।
ये शुद्ध रत्न खंगोल रही।
दिल्ली में संसद बोल रही।।
इस पर दुष्टों का साया है।
सब नेताओं की माया है।
विद्वान वीर तुम सुनना सभी,
तुमको संसद में बुलाया है।।
खतरे में संसद डोल रही।
दिल्ली की संसद बोल रही।।
डॉ. अनीता चौधरी ( मथुरा से)