तंग हालातों में भी जीना सीखो ,
पंख लगा कर उड़ना सीखो,
जो अधिकारों को छिने तुम्हारे,
उस के पंख कुतरना सीखो,
हो जाओ होशियार यहां तुम,
बना पगडंडी चलना सीखो,
माना की मजदूर हो तुम,
फिर भी कुछ लिखना सिखो,
कोई भी परिस्थिति घर हो तुम्हारे,
बच्चों को अपने पढ़ाना सीखो,
शिक्षा ही घर में तेरे एक दिन,
उजियारा लेकर घर मेंआएगी,
बच्चें हो जाएं कामयाब तेरे,
फिर सम्मान तेरा बढ़ाएगी,
गांँव से शहर की तरफ,
जाना होगा फिर तेरा,
बदल जाएगी किस्मत तेरी,
संवर जाएगा जीवन तेरा,
रामेश्वर दास भांन
करनाल हरियाणा