वो..दिखते तो कम ही हैं ,
कभी-कभार ढूंढे से भी नहीं मिलते ,
पता नहीं कहां छिप जातें हैं
किस ओंट में ,
पर, सहसा द्रष्टित हो जाते हैं
किसी भी अंधेरे में
प्रकाश की तरह !!
यूं तो उनकी कोई अपनी जगह नहीं
पर, एडजस्ट हो जाते हैं
प्रत्येक जगह ,
वो..नायक नहीं हैं
फिर भी, प्रतिनिधित्व करते हैं
आत्मीयता का.. मानवता का !!
सुनों..
युग-पुरुष नहीं हैं वो ,
पर, रहे हैं युगों-युगों से
हर युग में !!
ये जो कुछ खास लोग हैं न
हम उन्हें पहचान भी नहीं सकते ,
उनके चेहरे होते हैं हम-तुम जैसे ही
बिल्कुल आम ,
नहीं होता उनका ज़िक्र किताबों में ,
नहीं होती कोई नेम-प्लेट उनकी ,
कोई रेसीडेंसल एड्रेस भी नहीं ,
कान्ट्रेक्ट नम्बर का तो सवाल ही नहीं ,
फिर भी, मिल ही जाते हैं
बिन बताए ,, कहीं भी !!
सुनों..
कभी नहीं होते वो अखबारों की सुर्खियों में ,
न ही उनके हिस्से में आता है कोई एवार्ड !!
हां, ये कुछ "खास" लोग हैं..
चुपचाप संभाले रखा है इन्होंने "मनुष्यता" को अब तक !!
नमिता गुप्ता "मनसी"
मेरठ, उत्तर प्रदेश