विश्वास जब किया तो संदेह न किया
दिल से जो जुड़े कभी धोखा न दिया
नीयत खरी रही है कभी घात न किया
अंतरात्मा की आवाज अनसुनी न किया
दर्द दिल में था कभी दिखलाया न किया
रिश्तों को मनके की तरह हमने पिरोया
टूट जाए जो तो उनको बिखरने न दिया
कब हमने किसी को रूसवा है किया
खुद पीर सहते रहे उफ़ भी न किया
इंतजार में पलकें हमने बिछा दिया
राह तकते उम्र को गुजारा है किया
मोहब्बत का हमने व्यापार न किया
दिल में उनको बसाया गिरने न दिया
दिल की धड़कन पे नाम लिख दिया
सांसों के साथ एक डोर बांध दिया
चालाकियों से हमने किनारा ही किया
दिल को मनमीत से मिलाया किया
प्रेम की डोर से हमने खींचा ही किया
दिल्लगी से दिल को संभाला किया
स्वरचित एवं मौलिक रचना
अनुराधा प्रियदर्शिनी
प्रयागराज उत्तर प्रदेश