मीठी वाणी (छप्पय छंद )

करना हो यदि राज, प्रजा के दुख को हरना |

जीवन के दिन चार, मनुज मन मधुरस करना ||

सेवक बनकर आज,  ह्रदय को जीतो प्यारे |

मिले बहुत आशीष, जग त में बनना

न्यारे ||

मधुर वचन के लेप से, हरना मन की पीर भी |

पालन करलो धर्म का,रखना मन धीर भी ||

बोली एक अमोल, सुधा रस इसमें होता |

बोलो मीठे बोल, प्रेममय बनता नाता ||

प्रेम जगत का सार, सभी जन करते मुखरित |

मनुज करे व्यवहार, ह्रदय मन होता प्रमुदित ||

गुरुवर देते ज्ञान हैं , नाप तौल कर बोलना |

 बनो सभी मतिमान अब,तब धीरज मन तोलना ||

मधुर वचन को बोल,सोचकर बोलो प्राणी |

शब्द -शब्द अनमोल ,  अधर रख मीठी वाणी ||

दाता सबके श्याम, वही हैं सबकी आशा |

भजन करो निष्काम, करो आनंदित मन को ||

करना सबसे प्रेम , करें हर्षित जन -जन को |

बढ़ता जग में मान है,करता जो नित नेम है ||

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कवयित्री

कल्पना भदौरिया "स्वप्निल "

लखनऊ

उत्तरप्रदेश