मा. मंत्री डॉ. निषाद ने कहा कि मछुओं व मत्स्य पालकों की आय को दोगुना करने, रोज़गार के अधिक से अधिक अवसर प्रदान करने तथा कृषि के सकल मूल्यवर्धित एवं निर्यात में मात्स्यिकी गतिविधियों की हिस्सेदारी को बढ़ाने, मछुआ व मत्स्य पालकों को सामाजिक, आर्थिक व जोखिम से सुरक्षा प्रदान करने तथा मज़बूत मत्स्य प्रबंधन और नियामक ढांचा तैयार करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना संचालित की जा रही है। जिसके तहत निजी भूमि पर तालाब निर्माण, रियरिंग फिश सीड यूनिट, ताज़े जल क्षेत्र में बायोफ्लाक तालाब निर्माण, वृहद रिसर्कुलेटरी एक्वा कल्चर सिस्टम, मत्स्य बीज हेचरी निर्माण, लघु मत्स्य आधार मिल, मोटर साइकिल विद आईसबाक्स, थ्री व्हीलर व आटो रिक्शा विद आईसबाक्स इत्यादि योजनायें संचालित की जा रही हैं। जिसके तहत सामान्य एवं पिछड़ी जाति के पुरूष वर्ग को 40 प्रतिशत तथा महिला एवं एससी/एसटी वर्ग को 60 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है।
डॉ. निषाद ने बताया इसके अलावा राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत निजी भूमि पर तालाब निर्माण हेतु सामान्य एवं पिछड़ी जाति वर्ग के लोगों को 40 प्रतिशत एवं एससी/एसटी वर्ग को 60 प्रतिशत अनुदान का प्राविधान है। जबकि मत्स्य पालकों/मछुआरों का बीमा तथा मत्स्य संसाधनांे के संरक्षण हेतु मछुआरों के आजीविका एवं पोषण से सम्बन्धित सहायता योजना भी संचालित की जा रही है। डॉ. निषाद ने कहा कि प्रदेश के 16 हज़ार पात्र लोगों को मत्स्य विकास योजनाओं से लाभान्वित किये जाने का लक्ष्य रखा गया है। जिसके लिए 250 करोड़ रूपये अनुदान की व्यवस्था की गई है।
मा. मंत्री ने कहा कि किसी भी समुदाय के आर्थिक उत्थान के लिए ज़रूरी है कि वह अपने परम्परागत व्यवसायों को विकसित कर व्यापार का स्वरूप प्रदान करें। इसके लिए लोगों का शिक्षित होना भी बेहद ज़रूरी है। क्योंकि आज आधुनिक युग में शिक्षा के बिना किसी व्यवसाय को बुलन्दियों पर ले जाना संभव नहीं है। डॉ. निषाद ने प्रदेश में मनरेगा योजना के तहत बड़ी संख्या में अमृत सरोवरों का निर्माण कराया जायेगा। इस योजना का प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से मत्स्य व्यवसाय से जुडे लोगों को लाभ होगा।
मा. मंत्री ने कहा कि अथाह जलराशि से परिपूर्ण आकांक्षात्मक जनपद बहराइच में मत्स्य विकास की अपार संभावनाएं हैं। मा. मंत्री ने लोगों को आहवान किया कि मत्स्य विकास विभाग द्वारा संचालित योजनाओं का भरपूर लाभ उठायें। उन्होंने बताया कि मत्स्य समुदाय के लोग अपने व्यवसाय को आधुनिक एवं वैज्ञानिक विधि से संचालित कर सकें इसके लिए विभाग द्वारा प्रशिक्षण की भी व्यवस्था की गई है। इस अवसर पर परियोजना निदेशक डीआरडीए पी.एन. यादव, सहायक निदेशक मत्स्य डॉ. जितेन्द्र कुमार, तहसीलदार सदर राज कुमार बैठा व अन्य अधिकारी, योजनाओं के लाभार्थी सहित अन्य सम्बन्धित लोग मौजूद रहे।