जीना सीखो

अपने लिए न सही

दूसरों के लिए जीना सीखो।

गम से भरे चेहरों को

ज़रा खिलखिलाना सीखो।

मोहब्बत में तो

हर कोई मुस्कुराता है

दिल टूट जाने पर भी

ज़रा जीना सीखो।

अपनो ने दगा दे दिया तो

क्या हुआ ?

गैरों को अपना बनाकर

गले लगाना सीखो।

मिट्टी हुए जीवन के

संजोये हुए ख्वाब तो

क्या हुआ ?

उस मिट्टी को ही

अपने सीने से लगाकर

अपना बनाना सीखो।


राजीव डोगरा

rajivdogra1@gmail.com