पुष्पवर्षा के साथ जगह-जगह शोभायात्रा का स्वागत किया गया। वाद्य यंत्रों के साथ हरिनाम संकीर्तन की गूंज से गिरिराज तलहटी गुंजायमान हो उठी। गुरु के सम्मान में मुड़िया संत ढोलक-ढप और झांझ-मजीरे की धुन पर हरि नाम संकीर्तन करते हुए नाच रहे थे।चकलेश्वर स्थित राधा-श्याम सुंदर मंदिर से बुधवार की सुबह मुड़िया संतों की शोभायात्रा महंत रामकृष्ण दास के निर्देशन में निकाली गई। यह शोभायात्रा दसविसा, हरिदेवजी मंदिर, दानघाटी मंदिर, डीग अड्डा, बड़ा बाजार, हाथी दरवाजा होते हुए राधा-श्याम सुंदर मंदिर पर पहुंचकर संपन्न हुई।
इस दौरान मुड़िया संत हरिनाम संकीर्तन के साथ नृत्य करते हुए निकले तो उनके आगे श्रद्धालुओं के शीश नतमस्तक हो गए।मुड़िया संतों के अनुसार 1558 में सनातन गोस्वामी के गोलोक गमन के बाद गौड़ीय संत एवं ब्रजजनों ने सिर मुंडवाकर उनके पार्थिव शरीर के साथ सातकोसीय परिक्रमा लगाई। तभी से गुरु पूर्णिमा को मुड़िया पूर्णिमा के नाम से जाना जाने लगा।
बुधवार को सनातन गोस्वामी के तिरोभाव महोत्सव पर उनके अनुयायी संत एवं भक्तों ने मुंडन कराकर मुड़िया शोभायात्रा के साथ मानसीगंगा की परिक्रमा कर परंपरा का निर्वहन किया। साय ने को निकली दूसरी शोभायात्रा में भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ा। शोभा यात्रा में सुरक्षा की कमांड स्वयं मेलाधिकारी एसडीएम संदीप वर्मा, सीओ गौरव त्रिपाठी, सीओ प्रमोद शर्मा, थानाध्यक्ष नितिन कसाना, चंद्रवीर सिंह, आदि ने संभाली। मेले के सफल संपन्न होने पर पुलिस प्रशासन ने राहत की सांस ली है। जिलाधिकारी नवनीत चहल व एसएसपी अभिषेक यादव ने सभी का आभार जताया है।