बेखबर होकर भी खबरों में रहते हों,
तुम तो हर पल मेरी नज़रों में रहते हो,
यादें कुछ ऐसी हीं हैं तुम्हारी वो मिलने की,
सब जान कर भी तुम अनजान बने रहते हो,
की है दोस्ती तो निभाना भी सीख लो,
करते हो प्यार गर दिल लगाना भी सीख लो,
रहते हो मेरी यादों की बस्ती में तुम,
हम को भी यादों में बसाना सीख लो,
हम को तो लगा रहता है मिलने का जनून,
तुम भी हम से मिलना मिलाना सीख लो,
है नायाब ज़मीं पर ये जीवन प्यारा सा,
जीवन को तुम खुशहाल बनाना सीख लो,
मिल जाओ अगर प्यार करते हो तुम,
पास आकर मेरे प्यार जताना सीख लो,
रचनाकार
रामेश्वर दास भांन
करनाल हरियाणा