देर तक जारी रहा।

नित्य  के  बाजार   में  दिन  मेरा  भारी  रहा।

बादलों का आगमन  भी  देर तक जारी रहा।।


हो रही सरगोशियां कुछ शान्त मौसम में अभी,

किंतु चपला का चमकना देर  तक  जारी  रहा।।


निस्तब्ध निष्ठुर सी पवन थम गयी  मानो  कहीं,

फिर हवा  का  सरसराना  देर  तक  जारी  रहा।।


इक समय ऐसा लगा बरसात हो शायद अभी,

किंतु बूंदों का  टपकना  देर  तक  जारी  रहा।।


अभ्र के मन में बसी थी गांठ कोई कुछ दिनों से,

प्रतिधात बूंदों का धरा पर  देर  तक  जारी  रहा।।


था प्रथम आभास बदले रूप को देखा प्रकृति के,

आज  मौसम  का  बदलना  देर  तक  जारी  रहा।।


मेरी विवशता देखकर हँस रहे तारे  गगन  के,

अनवरत छत का टपकना देर तक जारी रहा।।


खुल गयी वह गांठ मानो स्वच्छ अम्बर हो गया,

मुस्कराना चांद  का  फिर  देर  तक  जारी  रहा।।


 नाम:- मनोज पाण्डेय 

पता:- कानपुर देहात उत्तर प्रदेश