अपनी ही दुनिया का बाज़ीगर

शरीर को स्वस्थ रख

होजा उसपर निर्भर 

फिर तू कहलाएगा

अपनी ही दुनिया का बाज़ीगर


जो रहे निर्भर अपने शरीर पर

वही है आज बाज़ीगर

हाथ पैर मुंह मस्तिष्क बनाया रब ने

वह हैं कारीगर 


उपयोग करो इनका इमानदारी से 

कहलाओगे बाज़ीगर

जीवों सहित सृष्टि का रचयिता 

है वह बाज़ीगर 


रिश्ते नाते दुनिया के

रिश्तों पर मत हो निर्भर 

कब कैसे फुर हो जाएंगे

समय नहीं लगेगा पलभर 


शरीर स्वस्थ है तो हर अंग

कहलाएगा बाज़ीगर 

कोरोना जैसी महामारी को भी

नहीं मिल पाया कोई कारीगर 


कोविड नियमों का पालन कर

स्वस्थ कहलाएगा बाज़ीगर 

शरीर को स्वस्थ रख होगा

अपना ही दुनिया का बाज़ीगर-3


लेखक- कर विशेषज्ञ, स्तंभकार साहित्यकार,कानूनी लेखक, चिंतक, कवि, एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया (महाराष्ट्र)