सब कुछ आपका!

किसी और से उम्मीद ना करें,

स्वयं से अपेक्षा रखें,

खुदा पर भरोसा रखें,

दिल में हिम्मत रख सके,

फिर सब कुछ आपका!


इंसानियत जुनून के साथ निभाए,

उदारता स्वयं मैं लेकर आए,

इस प्रकृति को महसूस करें,

हो जाए हर उलझन से परे,

फिर सब कुछ आपका!


अपनी अंतरात्मा को जाने,

स्वयं से ना करे बहाने,

हो स्वयं में आत्मनिर्भर,आत्म सम्मान,

आत्मबल और स्वाभिमान

फिर सब कुछ आपका!


तुलना करना छोड़ कर,

दिमाग को खोल कर,

बुद्धि और संकल्प के साथ,

मुस्कुराहट और शांति से करें बात,

फिर सब कुछ आपका!


यह प्रकृति आपकी,

वह ईश्वर आपका,

मन की शक्ति आपकी,

महसूस करो तो समस्त ब्रह्मांड आपका,

जी, सब कुछ आपका!!


डॉ. माध्वी बोरसे!

राजस्थान (रावतभाटा)