अदा

समक्ष खड़ी हूँ  मौन लिए,

समझ लो ना अदा हमारी ।

लब हैं ख़ामोश मेरे,

दिल दे रहा सदा तुम्हारी।


खामोशियों में अल्फ़ाज़ छुपा है ,

मोहब्बत का पैग़ाम छुपा है,

बिन अदा के इश्क़ अधूरा ,

प्यार का अंदाज़ छुपा है।


हमारी अदाओं पर सब फ़िदा,

बस तुम ही रहते हो हमसे जुदा।

दिल तुम्हें दिया है जाँ भी तुमको देंगे,

वफ़ा में न आयेगी कमी हमारी,

सुनो मोहब्बत भरी दास्तां हमारी।


अदाएँ बढ़ाती हैं मोहब्बत का जज़्बा,

अदाएँ नहीं बेवफाई का सबब,

तुम नादां हो समझते नहीं,

हाल-ए-दिल हम कह सकते नहीं।

हमारी भी कुछ मजबूरियां हैं,

नारी मन की बंदिशें और बेड़ियाँ हैं।


हम अदाओं से रखते हैं दिल की बात,

तुम समझ ना पाते हमारे जज़्बात ।

यूँ ही नासमझी के खेल में,

मोहब्बत ना अधूरा रह जाये,

थाम लोगे जो हाथ हमारा ,

आसमां हमें मिल जाये।


           रीमा सिन्हा (लखनऊ)