मौसम हो गई हैं अब सुहानें ,
पंछी गीत गा रही हैं नए तराने ।
प्रकृति भी ओढ़ ली हैं चादर हरियाली ,
पर्वत पठार बन गए हैं अब दिवानें ।।
मंद हवा की सुमधुर झरोखों से,
तन-मन को प्रफ्फुलित कर दिया।
और बारिश की रिमझिम फुहारों से ,
धरती भी बन गई अब तो मस्ताने ।।
नदी-नालों की कलरव संग फूलों पर,
मंडराती तितली झर-झर बहती झरना।
देख नज़ारा मन हमारा बस,
कहता हैं? मौसम हो गई अब सुहानें ।।
रचनाकार-
डोमेन्द्र नेताम (डोमू )
मुण्डाटोला डौण्डीलोहारा
जिला-बालोद (छ.ग.)
मो. 9669360301