तुम कल रहे हो

मुफ़लिसी में साथ न इक पल रहे हो

आज कोई और है तुम कल रहे हो।


हम नफ़स थे हमारे अब बदल रहे हो,

इज़हारे मोहब्बत में अब संभल रहे हो।


मेरे दर्द ए दिल के तबीब थे कभी,

आज जले पर नमन मल रहे हो।


दौर ए ख़ुदगर्जी में इख़्तिलात थे जो,

आज साथ इक पल भी न चल रहे हो।


फ़िक्र ए आक़िबत बिन किये थामा था मुझे,

बहार ए चमन में आज मुझे छल रहे हो।


मख़्सूस थे जिनके कभी हम तूफानों में,

आज बाद ए सबा में भी मचल रहे हो।


                    रीमा सिन्हा (लखनऊ)