और दूसरे कुलदेवता आलू जी,सब्जी चाहे कोई भी बनालों आलू तो चाहिएं ही। मैंने भिंडी काट रखी थी जैसे ही रसोई की और मुड़ी तो पिछे से ननंद जी की आवाज आई,” भाभी इसमें आलू जरूर डालियेगा वरना बिट्टू ने नहीं खाना हैं इसे!”
और हो गया कल्याण,फिर भी मैंने प्रत्युत्तर दे ही दिया,” जीज्जी इसमें तो आलू चिकने हो जाने हैं कैसे खाएंगे?"
जिज्जी कहां कम थी इतरा के बोली,”कोई नहीं जरा अलग से तल के मिला लेना तो चिकने कहां से होने हैं!" अब तीन पाव भिंडी में दो पाव तले आलू डल ही गएं।और सब ने खूब मजे से खा भी लिएं।
मैने भी तय कर लिए अगली गर्मियों की छुट्टियों में अतिरिक्त मात्रा में कुल देवता और कुल देवी का आह्वाहन कर घर में प्रस्थापित कर लूंगी।
जयश्री बिरमी
अहमदाबाद