तनिक भी भरोसा नहीं।
जी लो इस पल को
अगले का भरोसा नहीं।
बताते हैं वो हमें
अगले दिनों के बारे में
जिन्हें खुद अपने भविष्य का पता नहीं।
साजों-सामान तो बरसों
का सजाया है।
टूट न जाये कुछ
बहुत कीमती आया हैं।
सबसे कीमती जीवन को
तो नाहक ही गँवाया हैं।
जो साथ भी नही जायेगा
बस उसको कमाया हैं।
कुछ सोच बंदे तू किस
राह की तरफ जा रहा हैं।
मोक्ष की राह छोड़ तू
जन्म-मरण में फंस रहा हैं।
कर लिया हिसाब तूने
पूरी जिंदगी का।
पर अगले पल के हिसाब से
तू बेखबर ही रहा।
दुनिया के हिसाब को छोड़,
पलों का नही भरोसा हैं
जी ले इस पल को
अगले का नही भरोसा हैं।
गरिमा राकेश गौत्तम 'गर्विता'
कोटा राजस्थान