रघुकुल समाज की संयम सुधारो ।
प्रतिकूल प्रभाव पड़ने वाली नियम सुधारो ।।
सुधारो.......! सुधारो......!!
गुरुकुल समाज की संयम सुधारो ।
प्रतिकूल प्रभाव पड़ने वाली नियम सुधारो ।।
रघुकुल समाज की संयम सुधारो ।
प्रतिकूल प्रभाव पढ़ने वाली नियम सुधारो ।।
शांति समर्पण दो दु:ख के बदले ।
आओ मिलकर मानव सभ्यको बदलें ।।
शांति समर्पण दो दु:ख के बदले ।
आओ मिलकर मानव सभ्य को बदलें ।।
समाज की देश की और संपूर्ण की सन्नाटे ।
सबके लिए खोलना ही होगा उलझी हुई गांठें ।।
खोलना ही होगा गांठें खोलना ही होगा ।
मुल्क की मूल मूल राहें.............…….।।
संकट रहने पर जीवन को झूठा ना बनाओ ।
प्रयास करो कम से कम उनको पुकारो ।।
संकट रहने पर जीवन को झूठा ना बनाओ ।
कोशिश करो कम से कम उनको पुकारो ।।
पुकारो......! पुकारो......!!
संसार अभी भी है कितने विषयों से परे ।
मस्त नींदों में है कितने ही मस्ती मे भरे ।।
संसार अभी भी है कितने विषयों से परे ।
मस्त नींदों में है कितने ही मस्ती में भरे ।।
ये सब कहते हैं हम है गुरू से बड़े ।
ये सब कहते हैं हम है पिता से बड़े ।।
ये सब कहते हैं, हम है गुरु से बड़े ।
ये सब कहते हैं, हम है पिता से बड़े ।।
गुरुकुल समाज की संयम सुधारो ।
प्रतिकूल प्रभाव पड़ने वाली नियम सुधारो ।।
रघुकुल समाज की नियम सुधारो ।
प्रतिकूल प्रभाव पड़ने वाली नियम सुधारो ।।
सुधारो......! सुधारो......!!
स्वरचित एवं मौलिक
मनोज शाह 'मानस'
manoj22shah@gmail.com