किरदार

सब अपना किरदार निभाते

इस दुनिया में खेलने आते ।

अनोखा यह रंगमंच लगा,

अनेक दृश्यों से सजा मिला।


चरित्र सब के अलग-अलग,

बातें सबकी अलग-थलग।

मिलता सब को अलग यहाँ,

विविध जीवन की परिभाषा।


क्रूर प्रहार करे नियति

झेलते सब उनको देखो।

भांति भांति के रूप बदलकर,

पूरा करते उनको देखो।


कोई अधीर बड़ा मिला,

किसी को प्रेम बहुत मिला।

चलते सब पर अलग तीर,

भोग रहे मिलकर पीर।


स्वार्थी सा संसार दिखा,

कभी ममता का हार मिला।

क्या कहूंँ किससे कहूंँ

मृदु रिश्तो का अहसास मिला।


देखो वक्त बदल रहा,

जीवन का ढंग बदल रहा।

हुई अलग सी अब संतान,

भूली व्यवहारिक सा ज्ञान।


ऊपर वाला खेल खिलाता

अलग-अलग है हमें नचाता।

खेलते देखो सब अपना खेल

सुख दुख का है अनोखा मेल।


जिंदगी की दौड़ में भागते देखो सभी

स्वार्थ के खेल में,पैसे की होड़ लगी।

अपना-अपना सब खेलते

माया मे ही उलझे रहते।


              रचनाकार ✍️

              मधु अरोरा