मुश्किलों को ढाल बना

डर जाती झाँसी की रानी युद्ध के मैदान से,

राणा गर भयभीत होते खंजरों के वार से,

बच कैसे पाते हम अंग्रेजों और मुग़लों के प्रहार से ?


भार्या के वियोग में गर कालिदास घूमते वन वन,

तो कौन लिखता अभिज्ञान शाकुंतलम?

आर्यभट्ट शून्य को समझ फिसड्डी,गर खोज न करते

तो अंकों के आगे जाकर कैसे वो चमकते?


गिरता सेव देख न्यूटन गर उसे खा जाता, 

गुरुत्वाकर्षण का नियम  कौन समझाता?

मुश्किलों को बना ढाल विजयी बनो,

दुःख दर्द छोड़कर मंज़िल की ओर आगे चलो। 


                      रीमा सिन्हा (लखनऊ)