चाँद का दीदार होता है।
पर मोहब्बत भरे दिल में,
शशि का हर रूप खास होता है।
महबूब के रूप में कभी नज़र आता,
कभी करवाचौथ का श्रृंगार होता है।
बड़ा प्यारा है चाँद का दीदार,
नभ में रजत वितान होता है।
टूटे हुए दिल का भी इलाज बनता,
कवि कल्पना का आधार होता है।
इसकी ही लोरी से बचपन का वजूद है,
चकोरी को इसका ही इंतज़ार होता है।
इसके दीदार से ईद मुबारक़
यही चैन अमन का पैग़ाम होता है।
ऐ चाँद!तू करता जग आलोकित,
तुझसा ना कोई खास होता है।
रीमा सिन्हा (लखनऊ)