जिन्दगी में उम्र भर,कौन किसके साथ रहां।
मैं तो तन्हा था सदा,आज भी तन्हा ही रहां।।
सफर में तो बहुत से,लोग मिलेगे यहां यारो।
कहने को सब अपना,पर ना कोई साथ रहां।।
दिल के दहलीज पे,दस्तक देते है पुष्प सदा।
उम्र के इस पड़ाव पर,कहां कोई साथ रहां।।
बिता मजे में जवानी,बुढ़ापा भी आया सबका।
किसका बचपन मरते,समय उसके साथ रहां।।
सारे उद्यान के पुष्प,मुरझाए नजर आते है।
सुना है बागवाँ का,माली बहुत बिमार रहां।।
स्वरचित एवं मौलिक रचना
नाम:- प्रभात गौर
पता:- नेवादा जंघई प्रयागराज उत्तर प्रदेश